सुबह दूल्हे के स्वरूप में दिखे महाकाल, दोपहर में भस्म रमाई
उज्जैन । महाशिवरात्रि के दूसरे दिन शनिवार सुबह भगवान महाकालेश्वर के सेहरा बांधे दूल्हे के स्वरूप में दर्शन हुए। दोपहर 12 बजे उनका स्वरूप बदल गया। सेहरा व राजसी स्वरूप त्याग कर बाबा ने फिर भस्म रमा ली। महाशिवरात्रि पर शुक्रवार रात भगवान का चार प्रहर पूजन हुआ। गर्भगृह में पुजारियों ने भगवान का महापूजन किया। साल में केवल महाशिवरात्रि के दूसरे दिन ही दोपहर में भस्मआरती की जाती है। भस्मआरती के बाद सामान्य दर्शनार्थियों का प्रवेश दोपहर 2 बजे बाद शुरू हुआ। शुक्रवार तड़के 2.30 बजे से खुले मंदिर के पट शनिवार रात 11 बजे शयन आरती के बाद बंद होंगे।
श्रद्धालुओं को नहीं मिले सेहरे के फूल : महाकालेश्वर का सेहरा लूटने की पुरानी परंपरा अब बंद हो गई है। कुछ साल पहले तक सेहरा चढ़ाने के साथ नंदीगृह में भी फूल, फल आदि की सजावट होती थी। भगवान का सेहरा जब उतरता था तो सेहरे के फूल दर्शनार्थियों को लुटाए जाते थे। मान्यता रही है कि बाबा के सेहरे के फूल जिन अविवाहित युवक-युवतियों को मिलते हैं उनका विवाह जल्दी हो जाता है। अब सेहरा नंदीगृह के द्वार बंद कर उतारा जाता है। सेहरे के फूल लेने के उत्सुक लोगों को इससे निराशा हुई।