मटकुली के जंगल में बाघ ने किया महिला का शिकार; ग्रामीणों ने वन विभाग के इको सेंटर में तोड़फोड़ कर आग लगाई
होशंगाबाद। जिले के मटकुली क्षेत्र में एक बाघ ने महिला पर जानलेवा हमले के बाद भी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व यह छुपाता रहा कि यह बाघ बांधवगढ़ से लाया गया ‘जय’ ही है या नहीं? वह लोकेशन लेना बताकर टालता रहा और सफाई दी कि मटकुली क्षेत्र में चार बाघ सक्रिय हैं। जबकि स्टाफ ने माना कि यह जय ही है और उसकी लोकेशन मिली है।
दरअसल, बाघ जय को 29 जनवरी को कामती रेंज में छोड़ा था, उसे कामती से करीब 23 किमी दूर नयाखेड़ा में दो दिन पहले ही ट्रेस किया। अब जहां महिला पर हमला हुआ, वह स्थान मेहंदीखेड़ा (मटकुली) नयाखेड़ा से 10-11 किमी दूर ही है। गांववालों ने भी साफ कहा कि बाहर से लाए गए बाघ के कारण जान गई है। पुराने बाघों से लोगों पर जानलेवा हमला नहीं हुआ। इधर, वनविभाग ने दफ्तर में तोड़फोड़, आगजनी को लेकर रात में अज्ञात 400 पर केस दर्ज करा दिया गया।
फारेस्ट इको सेंटर में तोड़फोड़
महिला के शव की हालत देखकर गांव वाले नाराज हो गए। उन्होंने मटकुली वन विभाग के इको सेंटर पर हमला कर दिया और दफ्तर में आगजनी और तोड़फोड़ कर दी। उनके हाथ जो सामान आया, उसे तोड़ दिया। इको सेंटर के सभी कमरों के गेट तोड़ दिए गए, खिड़कियों के कांच तोड़ दिए गए और काफी देर तक हंगामा होता रहा। मौके पर पहुंची पुलिस ने गांव वालों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह सुनने को तैयार नहीं थे। वन विभाग का अमला मौके पर नहीं मिला।
अलर्ट कर ही रहे थे तभी हमला हुआ: फॉरेस्ट स्टाफ
29 जनवरी को कामती रेंज के पट्टन इलाके से वह नयाखेड़ा होते हुए मटकुली तरफ बढ़ा। गुरुवार में पिसुअा में दाे गाय के शिकार के बाद निगरानी 24 घंटे बढ़ा दी। विंडखेड़ा के पास रोड के किनारे करीब दो घंटे बैठा रहा। शुक्रवार तड़के 3-4 बजे लोकेशन मटकुली में सरस्वती शिशु मंदिर के पीछे मिली, फिर मेहंदीखेड़ा तरफ बढ़ा। लोगों को सतर्क कर रहे थे तभी सुबह 6 बजे चीख सुनी। कुछ दूर उसने महिला पर हमला किया। वनकर्मी पहले वहां पहुंचा, ग्रामीण भी आ गए। हम तब गांव में ही थे, कुछ देर में लाठी, कुल्हाड़ी और लकड़ी से हमें घेर लिया। भागकर बचे। दो साथियों को चोट आई। (जैसा रेंजर मुकेश डुडवे, वनपाल श्रीनारायन भल्लावी, अजय परस्ते ने बताया)
गांववालों से बचकर जंगल तरफ भागा तो उसी बाघ से हो गया सामना, जैसे-तैसे बचा
वनपाल एचएल शर्मा ने बताया कि गांव वालों ने जब हमला किया तो मैं वहां से जान बचाकर भागा। कई जगह गिरा। हाथ-पैर में चोट भी लगी। भीड़ से बचते हुए जंगल में भागा और मेरा सामना उसी बाघ से हो गया। मेरा पैर उसकी पूंछ पर पड़ने वाला था कि मैंने उसे देख लिया। थका होने के बाद भी दहशत में स्पीड और बढ़ गई। लगभग 15 किमी भागकर गांव वालों और बाघ से बचा।
वन विभाग ने कराई थी मुनादी, दो गायों को शिकार किया था
बाघ इसी प्रकार से अपने इलाकाे का दायरा (टेरेटरी) बढ़ा रहे हैं। पिसुआ में गायों के एक समूह पर बाघ ने गुरुवार को अलसुबह हमला कर दो गायों का शिकार किया था। जिस वक्त बाघ ने गाय के समूह पर हमला किया उस समय तुलसीराम नाम का एक युवक पास में ही था। उसने जैसे ही यह माजरा देखा वह घबराकर भागा। इससे उसका शरीर कई जगह छिल गया। बाघ काे सक्रिय देख वन विभाग ने क्षेत्र में मुनादी करवा दी है।
12 से 14 किमी औसत चाल
बाघ औसतन 12 से 14 किमी चलता है। 125 से 175 किलो का होने से पसीना ज्यादा आता है। भूख ज्यादा लगने पर मानव शिकार करता है।
डॉ. गुरुदत्त शर्मा