बाघ की दहाड़ सुनकर हाथी भी भागे, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 24 घंटे बाद बाघ 'जय' फिर से आजाद 

बाघ की दहाड़ सुनकर हाथी भी भागे, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 24 घंटे बाद बाघ 'जय' फिर से आजाद 


होशंगाबाद. मेहंदीखेड़ा में महिला का शिकार करने वाले बाघ जय को रविवार को चूरना के घने जंगल में छोड़ दिया गया है। जंगल में बाघ को छोड़ने के तगड़े इंतजाम किए गए थे। वन विभाग के अधिकारी 6 गाड़ियों के काफिले के साथ बाघ को जंगल में छोड़ने पहुंचे थे।


पहले बाघ का पिंजरा लोडिंग वाहन से सावधानी पूर्वक उतारा गया। इस दौरान बाघ दहाड़ता रहा। इसके बाद रेस्क्यू टीम ने कोई हलचल नहीं की और बाघ को सामान्य होने दिया। थोड़ी देर दहाड़ने के बाद बाघ पिंजरे में सामान्य हो गया। इस बीच रेस्क्यू टीम का एक व्यक्ति पिंजरे का गेट खोलने गया। फिर कार में बैठे टीम के सदस्यों ने धीरे-धीरे पिंजरे का गेट खोला। कुछ देर तक गेट नहीं खुला तो टीम के एक सदस्य ने कहा कि वो अभी बैठा हुआ है। इसके तुरंत बाद बाघ धीरे से पिंजरे से बाहर निकला और छलांग लगाकर जंगल की तरफ दौड़कर चला गया। शेर की दहाड़ सुनकर रेस्क्यू टीम के हाथी भी असहज हो गए और भागने लगे।



कानून कहता है


बाघ यदि मानव का शिकार करने लगता है तो उसे खुले में नहीं रखते। जय के मामले में विभाग ने मानव पर हमले को हादसा माना। इलाका बनाने के दौरान उसकी पहली गलती मान माफी दी गई। संचालक एसके सिंह ने बताया चूरना जंगल से बस्ती 150 से 200 किमी दूर है। एरिया बहुत लंबा है इसलिए बाघ का बस्ती तरफ अाना मुश्किल है।


तो वनविहार या बाड़े में रखना पड़ता...


बाघ लगातार आबादी क्षेत्र में आता और वह मानव जीवन के खतरा बनता तो उस दशा में उसे वनविहार या बाड़े में रखना पड़ता। जय के मामले में ऐसी स्थिति नहीं पाई गई।


गौरतलब है कि होशंगाबाद जिले के मटकुली के मेहंदीखेड़ा गांव में शुक्रवार तड़के महिला सुमेरिया सिंह (45) का शिकार करने वाला बाघ जय शिकार के करीब 11 घंटे बाद शनिवार दोपहर लगभग साढ़े तीन बजे तेंदूखेड़ा बीट में पकड़ा गया। उसे पकड़ने के लिए शनिवार तड़के 4:30 बजे ऑपरेशन शुरू किया गया था। हाथी सिद्धनाथ और अंजुम की भी मदद ली गई।